पहले के लेख मे हमने हनुमान चालीसा के पवित्र ग्रन्थ मे से आठ पंक्तियों के बारे मे जाना है अब हम इसके आगे की पंक्तियों के बारे मे जानेंगे। दोस्तो हम अपने लेख मे ऐसे ही आठ-आठ पंक्तियों का पुरी तरीक्के से अर्थ सहित वर्णन करेंगे। चलो दोस्तों अब हम हनुमान चालीसा के अगली आठ पंक्तियों की तरफ बढ़ेगें। जोकि निम्नलिखित है। अगर हमारे लेख में अगर कोई त्रुटि होती हो तो कामेंट में जरुर बताये जिसे हम सही तरीक्के से अर्थ को अपडेट कर सकेंगे।

Hanuman Chalisa Meaning (Part-2)-हनुमान चालीसा का अर्थ (भाग-2) 

महावीर विक्रम बजरंगी कुमती निवार सुमति के संगी, कंचन बरन विराज सुवेसा कानन कुण्डल कुंचित केसा।।

हाथ बज्र अरु  ध्वजा  विराजे  कान्धे मुन्ज जनेऊ साजे, शंकर  सुवन केसरी नंदन  तेज  प्रताप  महाजग  बंदन।।

अर्थ

हे हनुमान जी आप वीरों के वीर हैं। आपका अंग बज्र(हीरे या चट्टान जितना) के समान है। आपका पराक्रम सबसे अलग है। आप खराब बुद्धि को दूर करते  हैं, और अच्छी बुद्धि वालों के साथी तथा मदद करने वाले हैं। आपका रंग सुनहरा, सुन्दर वस्त्रों, कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं। आपके हाथ में बज्र और ध्वजा है और कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभा है। आप स्वयम शंकर के अवतार है। हे केसरी नंदन आपके पराक्रम और महान यश की गाथा पुरे संसार मे फैली हुई है।
 
नोट: इस पंक्ति मे हनुमान चालीसा के अगली पंक्तियो के बारे में बताया गया है और इसे सच्चे मन से ही ईश्वर का ध्यान करते हुए जपना चाहिए। आगे हम हनुमान चालीसा ग्रन्थ की अगली दोहे का वर्णन करेंगे। जो कि निम्नलिखित है।

अगले पंक्ति का अर्थ

विद्यावान गुणी अति चातुर राम काज करीबे को आतुर, प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया राम लखन सीता मन बसिया।।

सुक्ष्म रुप धरि सिंयही दिखावा  विकट रुप धरी लंक  जरावा, भीम रुप  धरी असुर संहारे रामचन्द्र के काज सवारे।।

अर्थ
 
आप बहुत सारी विद्याओं को जानने वाले हैं। आप अति गुणवान और अत्यन्त कार्य कुशल से अपने प्रभु श्री राम जी के काज करने के लिए हमेशा आतुर रहते  हैं।आप श्री राम चन्द्र जी के  चरित्र को सुनने में आनन्द रस लेते हैं। श्री राम, सीता और लखन आपके हृदय में बसे रहते  हैं। आपने अपना बहुत छोटा रूप धारण करके सीता माता जी को दिखलाया और भयंकर रूप धारण करके लंका को जला कर राख कर दिया।आपने विकराल रूप धारण करके राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के सभी कार्यों को सफल कराया।