हनुमान चालीसा के भाग 2 मे हमने हनुमान चालीसा के पवित्र ग्रन्थ मे से आठ पंक्तियों के बारे मे जाना है अब हम इसके आगे की पंक्तियों के बारे मे जानेंगे। दोस्तो हम अपने लेख मे ऐसे ही आठ-आठ पंक्तियों का पुरी तरीक्के से अर्थ सहित वर्णन करेंगे। चलो दोस्तों अब हम हनुमान चालीसा के अगली आठ पंक्तियों की तरफ बढ़ेगें। जोकि निम्नलिखित है। अगर हमारे लेख में अगर कोई त्रुटि होती हो तो कामेंट में जरुर बताये जिसे हम सही तरीक्के से अर्थ को अपडेट कर सकेंगे।
Hanuman Chalisa Meaning (Part-3)-हनुमान चालीसा का अर्थ (भाग-3)
लाय सजीवन लखन जियाये श्री रघुबीर हरषि उर लाये, रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरतही सम भाई।।
सहस बदन तुमरो जस गावैं अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं, सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद शारद सहित अहीसा।।
अर्थ
हे वानर देव! आपने जो संजीवनी बूटी लाकर श्री लक्ष्मण जी को जिलाया जिससे श्री रघुवीर जी ने खुश होकर आपको हृदय से लगा लिया। इस बात से खुश होकर श्री रामचन्द्र जी ने आपकी बहुत प्रशंसा की और कहा कि तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो। श्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया कि तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है। श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री सनत्कुमार आदिमुनि, ब्रह्मा आदिदेवता, नारद जी, सरस्वती जी, शेष, महेश, जी सभी देवी-देवता आपका गुणगान करते हैं।
अगले पंक्ति का अर्थ
यम कुबेर दिग्पाल जहां ते कवि कोविद कहि सके कहां ते, तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा राम मिलाय राजपद दीन्हा।।
तुमरो मंत्र विभीषण माना लंकेश्वर भय सब जग जाना, युग सहस्त्र योजन पर भानू लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
अर्थ
यमराज (जो मृत्यु के देवता), कुबेरराज (जो धन के देवता) हैं। सब दिशाओं के रक्षा करने वाले दिग्पाल, कवि विद्वान, पंडित या कोई भी आपके यश का पूर्णतः वर्णन नहीं कर सकते। आपने सुग्रीव जी को श्रीरामचन्द्र जी से मिलाकर उपकार किया और धर्म का पालन किया, जिसके कारण वे राजा बने। आपके उपदेश का विभिषण जी ने पालन किया जिससे वे लंका के राजा बने, इसको सब संसार जानता है। आपने जो सूर्य 432000 वर्ष x 1000 x 12.1 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। उस सुर्य को आपने मीठा फल समझ कर लील(मुंह मे रखना) लिया था।
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