हनुमान चालीसा के भाग 5 मे हमने हनुमान चालीसा के पवित्र ग्रन्थ मे से आठ पंक्तियों के बारे मे जाना है अब हम इसके आगे की पंक्तियों के बारे मे जानेंगे। दोस्तो हम अपने लेख मे ऐसे ही आठ-आठ पंक्तियों का पुरी तरीक्के से अर्थ सहित वर्णन करेंगे। चलो दोस्तों अब हम हनुमान चालीसा के अगली आठ पंक्तियों की तरफ बढ़ेगें। जोकि निम्नलिखित है। अगर हमारे लेख में अगर कोई त्रुटि होती हो तो कामेंट में जरुर बताये जिसे हम सही तरीक्के से अर्थ को अपडेट कर सकेंगे।
Hanuman Chalisa Meaning (Part-5)-हनुमान चालीसा का अर्थ (भाग-5)
और देवता चित न धरई हनुमत सेई सर्व सुख करई, संकट कटै मिटै सब पीरा जो सुमिरै हनुमत बलवीरा।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं कृपा करहु गुरु देव की नाई,जो सत बार पाठ कर कोई छूटहि बंदि महा सुख होई।।
अर्थ
हे श्री राम भक्त हनुमान जी! आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते हैं, फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नहीं रहती। जो आपका सुमिरन अर्थात याद करता रहता है, उसके सब संकट कट जाते हैं और सब पीड़ा मिट जाती हैं। आपकी जय हो, जय हो, जय हो! आप मुझ पर कृपालु श्री गुरु जी के समान कृपा कीजिए। जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार याद निरन्तर(सदा ही) पाठ करेगा वह सब बंधनों से छूट जाएगा और उसे परमानन्द मिलेगा।
अगले पंक्ति का अर्थ
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा होय सिद्धि साखी गौरीसा, तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।
पवन तनय संकट हरन मंगल मूरति रूप, राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सूरभूप।।
अर्थ
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