हनुमान चालीसा के भाग 4 मे हमने हनुमान चालीसा के पवित्र ग्रन्थ मे से आठ पंक्तियों के बारे मे जाना है अब हम इसके आगे की पंक्तियों के बारे मे जानेंगे। दोस्तो हम अपने लेख मे ऐसे ही आठ-आठ पंक्तियों का पुरी तरीक्के से अर्थ सहित वर्णन करेंगे। चलो दोस्तों अब हम हनुमान चालीसा के अगली आठ पंक्तियों की तरफ बढ़ेगें। जोकि निम्नलिखित है। अगर हमारे लेख में अगर कोई त्रुटि होती हो तो कामेंट में जरुर बताये जिसे हम सही तरीक्के से अर्थ को अपडेट कर सकेंगे।
Hanuman Chalisa Meaning (Part-5)-हनुमान चालीसा का अर्थ (भाग-5)
सब पर राम तपस्वी राजा तिनके काज सकल तुम साजा, और मनोरथ जो कोइ लावे सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों युग प्रताप तुम्हारा है प्रसिद्ध जगत उजियारा, साधु सन्त के तुम रखवारे असुर निकंदन राम दुलारे।।
अर्थ
हे केसरीनन्दन जी! आप तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र जी के सबसे प्यारे हैं, उनके सब कार्यों को आपने सहज में कर दिया था। जिस पर आपकी कृपादृष्टि हो जाती है, वह कोई भी मन मे इच्छा प्रकट करें तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन में कोई सीमा नहीं होती। चारो युगों मे सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग तथा कलियुग में आपका यश फैला हुआ है, जगत में आपकी कीर्ति सब जगह प्रकाशमान है। हे श्री राम के दुलारे! आप सज्जनों की रक्षा करते है और दुर्ज्जनों का नाश करते हैं।
अगले पंक्ति का अर्थ
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता असवर दीन जानकी माता, राम रसायन तुम्हरे पासा सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुम्हरे भजन राम को पावै जनम जनम के दुख बिसरावै, अन्त काल रघुबर पुर जाई जहां जन्म हरि भक्त कहाई।।
अर्थ
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